ec7fa8a17afb4ed09668ca3cba134dcd Exploring the Rich Tapestry of Sanatana Dharma: A Comprehensive Guide to Hinduism

 ą¤øą¤Øातन धर्म के समृद्ध इतिहास की खोज: हिंदू धर्म के लिą¤ ą¤ą¤• व्यापक मार्गदर्शिका

  1. #SanatanaDharma
  1. #Hinduism
  1. #Spirituality
  1. #Culture
  1. #ReligiousArticles
  1. #HinduHeritage
  1. #DiverseWisdom
  1. #HinduPhilosophy
  1. #SacredTraditions
  1. #ExploringHinduism

  1. Demystifying Sanatana Dharma: Your Ultimate Guide to Hinduism"

  1. "Sanatana Dharma Unveiled: Navigating the Depths of Hinduism"

  1. "Hinduism Decoded: A Deep Dive into Sanatana Dharma"

  1. "Sanatana Dharma 101: Discovering the Essence of Hinduism"

  1. "Journey through Sanatana Dharma: Uncovering Hinduism's Wisdom"

  1. "The Heritage of Hinduism: Exploring Sanatana Dharma's Wisdom"

  1. "Sanatana Dharma Revealed: Ancient Wisdom for Modern Life"

  1. "The Power of Sanatana Dharma: Insights into Hinduism's Key Concepts"

  1. "Sacred Paths of Hinduism: Exploring Sanatana Dharma"

  1. "Hinduism Unraveled: Your Guide to the World of Sanatana Dharma"
  2. #सनातन धर्म को गहराई से ą¤øą¤®ą¤ą¤Øा: हिन्दू धर्म के गहरे पर्व #सनातन धर्म का आदान-प्रदान #हिन्दू धर्म, जिसे अकेले "सनातन धर्म" भी कहा जाता है, ą¤ą¤• अत्यधिक विशाल और गहरा धर्म है, जिसमें अनगिनत सिद्धांत, परंपराą¤ँ और ग्रंऄ हैं। यह ą¤ą¤• विविधता से भरपूर धर्म है जिसमें आदित्या, शैव, शाक्त, वैष्णव, और अन्य अनेक पांऄ हैं। #सनातन धर्म के मूल सिद्धांत सनातन धर्म का मूल महत्व धर्मिक और आध्यात्मिक तत्वों पर है। इसमें धर्म, कर्म, मोक्ष, और ध्यान जैसे महत्वपूर्ण सिद्धांत होते हैं, जो जीवन का मार्ग दर्शाते हैं। #सनातन धर्म की विविधता हिन्दू धर्म की विशेषता यह है कि यह अपने अनुयायियों को अन्य धर्मों के प्रति सहानुभूति और समरसता की ओर प्रोत्साहित करता है। इसमें भक्ति, ज्ą¤žान, और कर्म मार्ग के अनुसरण के लिą¤ अनेक रूप हैं। #सनातन धर्म के प्रमुख ग्रंऄ सनातन धर्म के गहरे सिद्धांतों और ज्ą¤žान को गुरूत्वाकर्षण से प्रस्तुत करने वाले ą¤•ą¤ˆ महत्वपूर्ण ग्रंऄ हैं। इनमें भगवद गीता, उपनिषद, रामायण, महाभारत और भगवत पुराण शामिल हैं। # सनातन धर्म का महत्व सनातन धर्म ą¤ą¤• अनमोल धरोहर है जो मानव जीवन को सही दिशा में मार्गदर्शन करता है। यह धर्म आध्यात्मिकता, सद्गुण, और सहयोग के माध्यम से जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। हिन्दू धर्म गहरे अर्ऄों में सनातन धर्म को ą¤øą¤®ą¤ą¤Øे का ą¤ą¤• माध्यम है। इसके गहरे सिद्धांतों और आदर्शों की ą¤øą¤®ą¤ से हम अपने जीवन को सुखमय और सात्विक बना सकते हैं।
  3. हिन्दू धर्म, या सनातन धर्म, विश्व के सबसे प्राचीन और गहरे धर्मों में से ą¤ą¤• है और इसके पीछे ą¤•ą¤ˆ दिल को छूने वाले तऄ्य छुपे हैं। 1. विविधता का आदान-प्रदान हिन्दू धर्म विविधता का प्रतीक है। यह धर्म अनगिनत देवी-देवताओं, पांऄों, और सिद्धांतों के साऄ है, जो विश्वास और समर्पण का सबले से आदरणीय प्रतीक है। 2. भारतीय धार्मिक ग्रंऄ हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण ग्रंऄ, जैसे कि भगवद गीता, उपनिषद, और महाभारत, धर्म, योग, और ज्ą¤žान के महत्वपूर्ण सिद्धांतों का स्रोत हैं और दिलों को प्रेरित करते हैं। 3. ध्यान और आध्यात्मिकता हिन्दू धर्म में ध्यान और आध्यात्मिकता का महत्वपूर्ण स्ऄान है। योग और ध्यान के माध्यम से व्यक्ति अपने आत्मा की खोज में जुटता है और अंतरात्मा के साऄ मेल करता है। 4. सद्गुण और सेवा हिन्दू धर्म ने सद्गुणों के महत्व को स्वीकार किया है, और सेवा ą¤ą¤• महत्वपूर्ण आदर्श है। धर्मिक ą¤†ą¤šą¤°ą¤£ और समर्पण से व्यक्ति समाज के लिą¤ सहयोगी बनता है। हिन्दू धर्म न सिर्फ ą¤ą¤• धर्म है, बल्कि यह ą¤ą¤• आध्यात्मिक अनुभव का प्रतीक है, जो दिल को छूता है और सबको ą¤ą¤• साऄ जोऔ़ता है।


   

सनातन धर्म को गहराई से ą¤øą¤®ą¤ą¤Øा: हिन्दू धर्म के गहरे पर्व

  सनातन धर्म का आदान-प्रदान

 ą¤¹िन्दू धर्म, जिसे अकेले "सनातन धर्म" भी कहा जाता है, ą¤ą¤• अत्यधिक विशाल और गहरा धर्म है, जिसमें अनगिनत सिद्धांत, परंपराą¤ँ और ग्रंऄ हैं। यह ą¤ą¤• विविधता से भरपूर धर्म है जिसमें आदित्या, शैव, शाक्त, वैष्णव, और अन्य अनेक पांऄ हैं।


  सनातन धर्म के मूल सिद्धांत

  सनातन धर्म का मूल महत्व धर्मिक और आध्यात्मिक तत्वों पर है। इसमें धर्म, कर्म, मोक्ष, और ध्यान जैसे महत्वपूर्ण सिद्धांत होते हैं, जो जीवन का मार्ग दर्शाते हैं।


  सनातन धर्म की विविधता

 ą¤¹िन्दू धर्म की विशेषता यह है कि यह अपने अनुयायियों को अन्य धर्मों के प्रति सहानुभूति और समरसता की ओर प्रोत्साहित करता है। इसमें भक्ति, ज्ą¤žान, और कर्म मार्ग के अनुसरण के लिą¤ अनेक रूप हैं।


  सनातन धर्म के प्रमुख ग्रंऄ

  सनातन धर्म के गहरे सिद्धांतों और ज्ą¤žान को गुरूत्वाकर्षण से प्रस्तुत करने वाले ą¤•ą¤ˆ महत्वपूर्ण ग्रंऄ हैं। इनमें भगवद गीता, उपनिषद, रामायण, महाभारत और भगवत पुराण शामिल हैं।


  सनातन धर्म का महत्व

  सनातन धर्म ą¤ą¤• अनमोल धरोहर है जो मानव जीवन को सही दिशा में मार्गदर्शन करता है। यह धर्म आध्यात्मिकता, सद्गुण, और सहयोग के माध्यम से जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है।


  समापन

 ą¤¹िन्दू धर्म गहरे अर्ऄों में सनातन धर्म को ą¤øą¤®ą¤ą¤Øे का ą¤ą¤• माध्यम है। इसके गहरे सिद्धांतों और आदर्शों की ą¤øą¤®ą¤ से हम अपने जीवन को सुखमय और सात्विक बना सकते हैं।

हिन्दू धर्म: दिल को छूने वाली बातें

हिन्दू धर्म: दिल को छूने वाली भावनाą¤ँ

  

  हिन्दू धर्म, या सनातन धर्म, ą¤ą¤• ऐसा अद्वितीय धर्म है जिसने अपने अनुयायियों के दिलों को छू लिया है। यह धर्म बहुत ही गहरा और विशाल है, और इसमें अनगिनत भावन

 ą¤§ą¤°्म: दिल को छूने वाली तऄ्य

  

  हिन्दू धर्म, या सनातन धर्म, विश्व के सबसे प्राचीन और गहरे धर्मों में से ą¤ą¤• है और इसके पीछे ą¤•ą¤ˆ दिल को छूने वाले तऄ्य छुपे हैं।


 1. विविधता का आदान-प्रदान

 ą¤¹िन्दू धर्म विविधता का प्रतीक है। यह धर्म अनगिनत देवी-देवताओं, पांऄों, और सिद्धांतों के साऄ है, जो विश्वास और समर्पण का सबले से आदरणीय प्रतीक है।

 2. भारतीय धार्मिक ग्रंऄ

 ą¤¹िन्दू धर्म के महत्वपूर्ण ग्रंऄ, जैसे कि भगवद गीता, उपनिषद, और महाभारत, धर्म, योग, और ज्ą¤žान के महत्वपूर्ण सिद्धांतों का स्रोत हैं और दिलों को प्रेरित करते हैं।

  3. ध्यान और आध्यात्मिकता

  हिन्दू धर्म में ध्यान और आध्यात्मिकता का महत्वपूर्ण स्ऄान है। योग और ध्यान के माध्यम से व्यक्ति अपने आत्मा की खोज में जुटता है और अंतरात्मा के साऄ मेल करता है।


  4. सद्गुण और सेवा

 ą¤¹िन्दू धर्म ने सद्गुणों के महत्व को स्वीकार किया है, और सेवा ą¤ą¤• महत्वपूर्ण आदर्श है। धर्मिक ą¤†ą¤šą¤°ą¤£ और समर्पण से व्यक्ति समाज के लिą¤ सहयोगी बनता है।

 ą¤¹िन्दू धर्म न सिर्फ ą¤ą¤• धर्म है, बल्कि यह ą¤ą¤• आध्यात्मिक अनुभव का प्रतीक है, जो दिल को छूता है और सबको ą¤ą¤• साऄ जोऔ़ता है।


 Inside the Hindu mall.


ą¤ą¤• मित्र ने मुą¤ą¤øे कहा- वैदिक काल से लेकर अब तक तुम्हारे हिन्दू धर्म के अंदर इतने सारे परिवर्तन हो चुके हैं कि अब ये पता करना लगभग असंभव है कि इसका मूल स्वरूप क्या रहा होगा। आरंभिक और मूल शिक्षाऐं क्या रही होंगी। 

इसलिą¤ तुम ये मान लो कि तुम्हारे धर्म के अंदर इतनी तब्दीली आ चुकी है कि अब उसमें कुछ भी ऐसा नहीं खोजा जा सकता जो शुरू से लेकर ą¤†ą¤œ तक वही है। उसने फिर व्यंग्य के लहजे में कहा- मुą¤े तो लगता है कि तुम लोग खुद ही कंफ्यूज हो गये होगे कि क्या मान रहे हैं और क्या मानना ऄा।

______________Read more

108 मनके की माला से ही क्यों करना चाहिą¤??

108 में से 107 का वर्णन।।


परसों बात की ऄी कि पहनने वाली माला कितने भी मनके की हो फर्क नहीं ą¤Ŗą„œą¤¤ा, जपने वाली 108 मनके की ही होनी चाहिą¤। ये भी बताया ऄा कि अंगूठे के टॉप भाग में ą¤†ą¤œ्ą¤žाą¤šą¤•्र का पॉइंट होता है जो बार बार मनके पर ą¤°ą¤—ą„œą¤Øे से न जाने कब व्यक्ति की प्रज्ą¤žा जागृत हो जाą¤।


तो प्रश्न यह है कि जप क्यों करना चाहिą¤?108 मनके की माला से ही क्यों करना चाहिą¤?

इसका विधान धातु, ą¤šą¤•्र, गृह, आदि की गणना पर आधारित है। जिसका पूर्ण वर्णन आगे दिया है।

शरीर में तेरह प्रकार की #अग्नि होती हैं, सात धात्वाग्नि,पांच भूताग्नि, ą¤ą¤• जठराग्नि जिससे भोजन पचता है पेट में।



शीर्ष महिला भारतीय गणितज्ą¤ž ...... लीलावती

गणितज्ą¤ž #लीलावती का नाम हममें से अधिकांश लोगों ने नहीं सुना है। उनके बारे में कहा जाता है कि वो पेऔ़ के पत्ते तक गिन लेती ऄी।   शायद ही कोई जानता हो कि ą¤†ą¤œ यूरोप सहित विश्व के सैंकऔ़ो देश जिस गणित की पुस्तक से गणित को पढ़ा रहे हैं, उसकी रचयिता भारत की ą¤ą¤• महान गणितज्ą¤ž महर्षि भास्कराचार्य की पुत्री लीलावती है। ą¤†ą¤œ गणितज्ą¤žो को गणित के प्रचार और प्रसार के क्षेत्र में लीलावती #पुरूस्कार से सम्मानित किया जाता है।   ą¤†ą¤‡ą¤ जानते हैं महान गणितज्ą¤ž लीलावती के बारे में जिनके नाम से गणित को पहचाना जाता ऄा।   दसवीं सदी की बात है, दक्षिण भारत में #भास्कराचार्य नामक गणित और ज्योतिष विद्या के ą¤ą¤• बहुत बऔ़े पंऔित ऄे। उनकी कन्या का नाम लीलावती ऄा।   वही उनकी ą¤ą¤•ą¤®ात्र संतान ऄी। उन्होंने ज्यो‍तिष की गणना से जान लिया कि ‘वह विवाह के ऄोऔ़े दिनों के ही बाद विधवा हो जाą¤ą¤—ी।’   उन्होंने बहुत कुछ सोचने के बाद ऐसा लग्न खोज निकाला, जिसमें विवाह होने पर कन्या विधवा न हो। विवाह की तिऄि निश्चित हो ą¤—ą¤ˆ। जलघऔ़ी से ही समय देखने का काम लिया जाता ऄा।   ą¤ą¤• बऔ़े ą¤•ą¤Ÿोरे में छोटा-सा छेद कर पानी के घऔ़े में छोऔ़ दिया जाता ऄा। सुराख के पानी से जब ą¤•ą¤Ÿोरा भर जाता और पानी में औूब जाता ऄा, तब ą¤ą¤• घऔ़ी होती ऄी।   पर विधाता का ही सोचा होता है। लीलावती सोलह श्रृंगार किą¤ ą¤øą¤œą¤•ą¤° बैठी ऄी, सब लोग उस शुभ लग्न की प्रतीक्षा कर रहे ऄे कि ą¤ą¤• मोती लीलावती के आभूषण से टूą¤Ÿą¤•ą¤° ą¤•ą¤Ÿोरे में गिर पऔ़ा और सूराख बंद हो गया; शुभ लग्न बीत गया और किसी को पता तक न चला।   विवाह दूसरे लग्न पर ही करना पऔ़ा। लीलावती विधवा हो ą¤—ą¤ˆ, पिता और पुत्री के धैर्य का बांध टूट गया। लीलावती अपने पिता के घर में ही रहने लगी।   पुत्री का वैधव्य-दु:ख दूर करने के लिą¤ भास्कराचार्य ने उसे गणित पढ़ाना आरंभ किया। उसने भी गणित के अध्ययन में ही शेष जीवन की उपयोगिता ą¤øą¤®ą¤ी।   ऄोऔ़े ही दिनों में वह उक्त विषय में पूर्ण पंऔिता हो ą¤—ą¤ˆ। पाटी-गणित, बीą¤œą¤—ą¤£ित और ज्योतिष विषय का ą¤ą¤• ग्रंऄ ‘सिद्धांतशिरोमणि’ भास्कराचार्य ने बनाया है। इसमें गणित का अधिकांश भाग लीलावती की रचना है।   पाटीगणित के अंश का नाम ही भास्कराचार्य ने अपनी कन्या को अमर कर देने के लिą¤ ‘लीलावती’ रखा है।   भास्कराचार्य ने अपनी बेटी लीलावती को गणित सिखाने के लिą¤ गणित के ऐसे सूत्र निकाले ऄे जो काव्य में होते ऄे। वे सूत्र कंठस्ऄ करना होते ऄे।   उसके बाद उन सूत्रों का उपयोग करके गणित के प्रश्न हल करवाą¤ जाते ऄे।कंठस्ऄ करने के पहले भास्कराचार्य लीलावती को सरल भाषा में, धीरे-धीरे ą¤øą¤®ą¤ा देते ऄे।   वे बच्ची को प्यार से संबोधित करते चलते ऄे, “हिरन जैसे नयनों वाली प्यारी बिटिया लीलावती, ये जो सूत्र हैं…।” बेटी को पढ़ाने की इसी शैली का उपयोग करके भास्कराचार्य ने गणित का ą¤ą¤• महान ग्रंऄ लिखा, उस ग्रंऄ का नाम ही उन्होंने “लीलावती” रख दिया।   ą¤†ą¤œą¤•ą¤² गणित ą¤ą¤• शुष्क विषय माना जाता है पर भास्कराचार्य का ग्रंऄ ‘लीलावती‘ गणित को भी आनंद के साऄ मनोरंजन, जिज्ą¤žासा आदि का सम्मिश्रण करते हुą¤ कैसे पढ़ाया जा सकता है,   इसका नमूना है। लीलावती का ą¤ą¤• उदाहरण देखें- ‘निर्मल कमलों के ą¤ą¤• समूह के तृतीयांश, पंचमांश तऄा षष्ठमांश से क्रमश: शिव, विष्णु और सूर्य की पूजा की, चतुर्ऄांश से पार्वती की और शेष छ: कमलों से गुरु चरणों की पूजा की ą¤—ą¤ˆ।   अये, बाले लीलावती, शीघ्र बता कि उस कमल समूह में कुल कितने फूल ऄे..?‘   उत्तर-120 कमल के फूल।   वर्ग और घन को ą¤øą¤®ą¤ाते हुą¤ भास्कराचार्य कहते हैं ‘अये बाले,लीलावती, वर्गाकार क्षेत्र और उसका क्षेत्रफल वर्ग कहलाता है।   दो समान संख्याओं का गुणन भी वर्ग कहलाता है। इसी प्रकार तीन समान संख्याओं का गुणनफल घन है और बारह कोष्ठों और समान भुजाओं वाला ठोस भी घन है।‘   ‘मूल” शब्द संस्कृत में पेऔ़ या पौधे की जऔ़ के अर्ऄ में या व्यापक रूप में किसी वस्तु के कारण, उद्गम अर्ऄ में प्रयुक्त होता है।   इसलिą¤ प्राचीन गणित में वर्ग मूल का अर्ऄ ऄा ‘वर्ग का कारण या उद्गम अर्ऄात् वर्ग ą¤ą¤• भुजा‘।   इसी प्रकार घनमूल का अर्ऄ भी ą¤øą¤®ą¤ा जा सकता है। वर्ग तऄा घनमूल निकालने की अनेक विधियां प्रचलित ऄीं।   लीलावती के प्रश्नों का जबाब देने के क्रम में ही “सिद्धान्त शिरोमणि” नामक ą¤ą¤• विशाल ग्रन्ऄ लिखा गया, जिसके चार भाग हैं- (1) लीलावती (2) बीą¤œą¤—ą¤£ित (3) ग्रह गणिताध्याय और (4) गोलाध्याय।   ‘लीलावती’ में बऔ़े ही सरल और काव्यात्मक तरीके से गणित और खगोल शास्त्र के सूत्रों को ą¤øą¤®ą¤ाया गया है।   अकबर के दरबार के विद्वान फैजी ने सन् 1587 में “लीलावती” का #फारसी भाषा में अनुवाद किया।   अंग्रेजी में “लीलावती” का पहला अनुवाद जे. वेलर ने सन् 1716 में किया।   कुछ समय पहले तक भी भारत में ą¤•ą¤ˆ शिक्षक गणित को दोहों में पढ़ाते ऄे। जैसे कि पन्द्रह का पहाऔ़ा…तिया पैंतालीस, चौके साठ, छक्के नब्बे… ą¤…ą¤Ÿ्ठ बीसा, नौ पैंतीसा…।   इसी तरह कैलेंऔर याद करवाने का तरीका भी पद्यमय सूत्र में ऄा, “सि अप जूनो तीस के, बाकी के इकतीस, ą¤…ą¤Ÿ्ठाईस की फरवरी चौऄे सन् उनतीस!” इस तरह गणित अपने पिता से सीखने के बाद लीलावती भी ą¤ą¤• महान गणितज्ą¤ž ą¤ą¤µं खगोल शास्त्री के रूप में जानी गयी।   मनुष्य के मरने पर उसकी कीर्ति ही रह जाती है अतः ą¤†ą¤œ गणितज्ą¤žो को लीलावती पुरूस्कार से सम्मानित किया जाता है।   हमारे पास बहुत कीमती इतिहास है जिसे छोऔ़कर हम आधुनिकता की दौऔ़ में विदेशों की नकल कर रहे हैं।

Read in English



गणितज्ą¤ž #लीलावती का नाम हममें से अधिकांश लोगों ने नहीं सुना है। उनके बारे में कहा जाता है कि वो पेऔ़ के पत्ते तक गिन लेती ऄी। 


शायद ही कोई जानता हो कि ą¤†ą¤œ यूरोप सहित विश्व के सैंकऔ़ो देश जिस गणित की पुस्तक से गणित को पढ़ा रहे हैं, उसकी रचयिता भारत की ą¤ą¤• महान गणितज्ą¤ž महर्षि भास्कराचार्य की पुत्री लीलावती है। ą¤†ą¤œ गणितज्ą¤žो को गणित के प्रचार और प्रसार के क्षेत्र में लीलावती #पुरूस्कार से सम्मानित किया जाता है। 

ą¤†ą¤‡ą¤ जानते हैं महान गणितज्ą¤ž लीलावती के बारे में जिनके नाम से गणित को पहचाना जाता ऄा। 

दसवीं सदी की बात है, दक्षिण भारत में #भास्कराचार्य नामक गणित और ज्योतिष विद्या के ą¤ą¤• बहुत बऔ़े पंऔित ऄे। उनकी कन्या का नाम लीलावती ऄा। 

वही उनकी ą¤ą¤•ą¤®ात्र संतान ऄी। उन्होंने ज्यो‍तिष की गणना से जान लिया कि ‘वह विवाह के ऄोऔ़े दिनों के ही बाद विधवा हो जाą¤ą¤—ी।’ 



विश्व बैंक के अनुसार ą„Øą„¦ą„§ą„® ई⋅ में विश्व की  “कुल सेना”  ऄी ą„Øą„­ą„¬.ą„Ŗą„Ø.ą„Øą„Æą„« की ।  

हमारी मीऔिया नहीं बताती कि संसार में सबसे ą¤¬ą„œी सेना भारत की है!“कुल सेना”  में वे सारे सैनिक हैं जो यु़द्धकाल में मोर्चे पर बुलाये जा सकते ह


ą¤ą¤• महत्वपूर्ण उपकरण ऄी नारायणी सेना।


पितृपक्ष


हिन्दु ą¤ą¤•ą¤¤ा में सोशल नेटवर्क भी सहायक।


गर्भ से पिता को टोकने वाले अष्टावक्र ।।अष्टावक्र, महान विद्वान।।


महाकाल के नाम पर ą¤•ą¤ˆ होटल, उनके संचालक मुस्लिम


क्या ऄे श्री कृष्ण के उत्तर! जब भीष्मपितामह ने राम और कृष्ण के अवतारों की तुलना की?A must read phrase from MAHABHARATA.


श्री कृष्ण के वस्त्रावतार का रहस्य।।


Most of the hindus are confused about which God to be worshipped. Find answer to your doubts.



हम किसी भी व्यक्ति का नाम विभीषण क्यों नहीं रखते ?


How do I balance between life and bhakti? 


 ą¤®ंदिर सरकारी चंगुल से मुक्त कराने हैं?


यज्ą¤žą¤¶ाला में जाने के सात वैज्ą¤žानिक लाभ।। 


सनातन व सिखी में कोई भेद नहीं।


सनातन-संस्कृति में अन्न और दूध की महत्ता पर बहुत बल दिया गया है !


Astonishing and unimaginable facts about Sanatana Dharma (HINDUISM)



सनातन धर्म के आदर्श पर चल कर बच्चों को हृदयवान मनुष्य बनाओ।


Why idol worship is criticized? Need to know idol worshipping.


तंत्र--ą¤ą¤• कदम और आगे। ą¤Øाभि से जुą„œा हुआ ą¤ą¤• आत्ममुग्ध तांत्रिक।

क्या ऄा रावण की नाभि में अमृत का रहस्य?  तंत्र- ą¤ą¤• विज्ą¤žान।।

जनेऊ का महत्व।।


ą¤†ą¤šार्य वात्स्यायन और शरीर विज्ą¤žान।


तांत्रिक यानी शरीर वैज्ą¤žानिक।।

मनुष्य के वर्तमान जन्म के ऊपर पिछले जन्म अऄवा जन्मों के प्रभाव का दस्तावेज है।


Find out how our Gurukul got closed. How did Gurukul end?


तुम कौन हो? आत्म जागरूकता पर ą¤ą¤• कहानी।

Sukh ka arth

सबसे ą¤•ą¤®ą¤œोर बल: गुरुत्वाकर्षण बल।सबसे ताकतवर बल: नाभकीय बल। शिव।। विज्ą¤žान।।


सौगंध मुą¤े इस मिट्टी की मैं देश नहीं मिटने दूंगा।।


Shree ram ki kavita, kahani (chaand ko hai ram se shikayat)



The questions of narada and their answers.





श्रीą¤®ą¤¦ą„ चतुर्मुखाय विद्महे, कमण्औलु धाराय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥


ą„ वेदात्मने विद्महे, हिरण्यगर्भाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥


ą„ परमेश्वर्याय विद्महे, परतत्वाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥ 


भागवद पुराण (विषय सूची) TABLE OF CONTENTS

श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ą„«]

श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ą„¬

Listen to podcasts 

https://anchor.fm/shrimad-bhagwad-mahapuran

https://anchor.fm/shrimad-bhagwad-mahapuran/episode


༺═──────────────═༻
श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ą„§]


शौनकादि ऋषियों का सूत जी से भागवत के विषय में सम्वाद। [अध्याय ą„§]

༺═──────────────═༻
• ą¤µेद व्यास जी द्वारा भगवद गुण वर्णन।।[अध्याय ą„Ø]
༺═──────────────═༻
• ą¤­ą¤—वान विष्णु के ą„Øą„Ŗ अवतार।। [अध्याय ą„©]
༺═──────────────═༻
• ą¤µ्यास मुनि का नारद में सन्तोष होना और भागवत बनाना आरम्भ करना।। [अध्याय ą„Ŗ]
༺═──────────────═༻
• ą¤Øारद द्वारा हरि कीर्तन को श्रेस्ठ बतलाकार वेद व्यास के शोक को दूर करना।।[अध्याय ą„«]
༺═──────────────═༻
• ą¤¦ेवर्षि नारद मुनि अपने पूर्व जन्म जी कऄा वेद व्यास जी को कहना।। [अध्याय ą„¬]
༺═──────────────═༻
• ą¤Ŗą¤°ीक्षित राजा के जन्म कर्म और मुक्ति की कऄा।। [अध्याय ą„­]
༺═──────────────═༻
• ą¤…श्वत्ऄामा का ब्रह्म अस्त्र छोऔ़ना।।परीक्षित राजा के जन्म कर्म और मुक्ति की कऄा।। [अध्याय ą„®]
༺═──────────────═༻
• ą¤Æुधिष्ठिर का भीष्म पितामह से सब धर्मों का सुनना।।[अध्याय ą„Æ]

༺═──────────────═༻
 ą¤¶्री कृष्ण भगवान का सब कार्य करके हस्तिनापुर से चलना।।[अध्याय ą„§ą„¦]༺═──────────────═༻
• ą¤Ŗą¤°ीक्षित के जन्म की कऄा।। [अध्याय ą„§ą„Ø]
༺═──────────────═༻

• ą¤µिदुर, धृतराष्ट्र, गान्धारी का हिमालय गमन से मोक्ष प्राप्ति की कऄा।।[अध्याय ą„§ą„©]
༺═──────────────═༻

• ą¤Æुधिष्ठिर को कलयुग के लक्षण का आभास होना।।[अध्याय ą„§ą„Ŗ]

༺═──────────────═༻
• ą¤…र्जुन कृष्णा प्रेम।। श्रीकृष्ण स्तुति।।[अध्याय ą„§ą„«]
༺═──────────────═༻
• ą¤°ाजा परीक्षित का वंश वर्णन।। [अध्याय ą„§ą„¬]
༺═──────────────═༻
• ą¤°ाजा परीक्षित का कलयुग को अभय देना।। कलयुग के निवास स्ऄान।। [अध्याय ą„§ą„­]
༺═──────────────═༻
• ą¤Ŗą¤°ीक्षित के श्राप की कऄा ।।[अध्याय ą„§ą„®]

༺═──────────────═༻
_äŗŗäŗŗäŗŗäŗŗäŗŗäŗŗ_अध्याय समाप्त_äŗŗäŗŗäŗŗäŗŗäŗŗäŗŗ_
 ą¤¶्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ą„Ø]


ꕄशुकदेव जी द्वारा श्रीमद भागवत आरंभ ą¤ą¤µं विराट रूप का वर्णन।। अध्याय ą„§[स्कंध ą„Ø]

༺═──────────────═༻
ꕄकैसे करते हैं ज्ą¤žानीजन प्राणों का त्याग।। श्रीमद भगवद पुराण महात्मय अध्याय ą„Ø[स्कंध ą„Ø]
༺═──────────────═༻
ꕄशुकदेव जी द्वारा विभिन्न कामनाओं अर्ऄ देवो का पूजन का ज्ą¤žान।। श्रीमद भागवद पुराण महात्मय अध्याय ą„© [स्कंध ą„Ø]
༺═──────────────═༻
ꕄश्रीमदभगवाद्पुराण किसने कब और किसे सुनायी।। अध्याय ą„Ŗ[स्कंध ą„Ø]
༺═──────────────═༻
ꕄविष्णु में ही सम्पूर्ण ब्रह्माण्औ है।। अध्याय ą„« [स्कंध ą„Ø]
༺═──────────────═༻
ź•„ ą¤¶्रीमद भागवद पुराण * छठवां अध्याय * [स्कंą¤§ą„Ø]
(पुरुष की विभूति वर्णन)
दोहा-जिमि विराट हरि रूप का, अगम रूप कहलाय।
सो छठवें अध्याय में दीये भेद बताय।।

༺═──────────────═༻
ꕄबृह्मा द्वारा कर्मों के अनुसार भगवान नारायण के ą„Øą„Ŗ अवतारों का वर्णन।। श्रीमद भागवद पुराण महात्मय अध्याय ą„­ [स्कंध ą„Ø]

༺═──────────────═༻
ꕄश्रीमद भागवद पुराण महात्मय।। राजा परीक्षित-शुकदेव संवाद।। अध्याय ą„® [स्कंध ą„Ø]
༺═──────────────═༻
ꕄकिन चार श्लोकों द्वारा हुई सम्पूर्ण भागवद पुराण की रचना।। अध्याय ą„Æ [स्कंध ą„Ø]
༺═──────────────═༻

ꕄश्री ą¤¹ą¤°ि नारायण का अस्तित्व।। देह का निरमाण।। अध्याय ą„§ą„¦ [स्कंध ą„Ø]
༺═──────────────═༻


• ą¤¶्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ą„©]

श्रीमद भागवद पुराण *प्रऄम अध्याय* [स्कंą¤§ą„©]
( उद्धवजी और विदुरजी का सम्बाद)

༺═──────────────═༻
• ą¤‰ą¤¦्धव जी द्वारा भगवान श्री कृष्ण का बल चरित्र वर्णन।।
श्रीमद भागवद पुराण अध्याय ą„Ø स्कंध ą„©
विदुर उध्यव संवाद 

༺═──────────────═༻

• ą¤Æादव कुल का नाश का कैसे हुआ?
तृतीय स्कंध श्रीमद भागवद पुराण * ą¤¤ीसरा अध्याय *
श्री कृष्ण द्वारा कंस वध तऄा माता पिता का उद्धार।।  

༺═──────────────═༻

• ą¤¶्रीकृष्ण जी का उध्यव जी को आत्मज्ą¤žान।।
श्रीमद भागवद पुराण* * चौऄा अध्याय*स्कंध ą„©
विदुरजी का मैत्रेयजी के पास आना

༺═──────────────═༻

• ą¤•ृष्णा की लीलाओं का वर्णन।।
श्रीमद भागवद पुराण पाँचवाँ अध्याय [स्कंध ą„©]
मैत्रैय जी द्वारा भगवान लीलाओं का वर्णन


༺═──────────────═༻
• ą¤µिराट अवतार की सृष्टि का वर्णन।।
श्रीमद भागवद पुराण अध्याय ą„¬ [स्कंध ą„©]

༺═──────────────═༻

• ą¤®ैत्रैय जी द्वारा विद्वान् विदुर जी को आत्मज्ą¤žान देना।
श्रीमद भागवद पुराण अध्याय ą„­ [स्कंध ą„©]

༺═──────────────═༻

 ą¤¬्रह्मा की उत्पत्ति। श्री हरि विष्णु द्वारा दर्शन देना।।
श्रीमद भगवद पुराण अध्याय ą„® [स्कंध ą„©]

༺═──────────────═༻
• ą¤¬ृम्हा जी द्वारा भगवान विष्णु का हृदय मर्म स्तवन।।
श्रीमद भागवद पुराण अध्याय ą„Æ [स्कंą¤§ą„©]
(बृम्हा जी द्वारा भगवान का स्तवन)

༺═──────────────═༻

• ą¤øą¤°्ग-विसर्ग द्वारा सृष्टि निर्माण ą¤ą¤µं व्याख्या।।
श्रीमद भागवद पुराण अध्याय ą„§ą„¦ [स्कंą¤§ą„©]
सर्ग की व्याख्या

༺═──────────────═༻

 ą¤Æुग, काल ą¤ą¤µं ą¤˜ą„œी, मुहूर्त, आदि की व्याख्या।।
श्रीमद भागवद पुराण अध्याय ą„§ą„§ [स्कंध ą„©]
(मनवन्तर आदि के समय का परमाण वर्णन)

༺═──────────────═༻
• ą¤•ैसे हुई गायत्री मंत्र की उत्त्पत्ति।।
श्रीमद भगवदपुराण अध्याą¤Æą„§ą„Ø [स्कंध ą„©]

༺═──────────────═༻

• ą¤¶्रीमद भागवदपुराण* तेरहवाँ अध्याय * [स्कंą¤§ą„©]
(भगवान का बाराह अवतार वर्णन)

༺═──────────────═༻
• ą¤•िस कारण हुआ भक्त प्रह्लाद का असुर कुल में जनम?
श्रीमद भागवद पुराण चौदहवाँ अध्याय [स्कंध ą„©]
(दिति के गर्भ की उत्पत्ति का वर्णन)

༺═──────────────═༻
• ą¤øą¤Øą¤•ादिक मुनियों द्वारा जय विजय के श्राप की कऄा ą¤ą¤µं उधार।
श्रीमद भागवद पुराण पंद्रहवाँ अध्याय [स्कंध ą„©]
(भगवान विष्णु के दो पार्षदों को ब्राम्हण द्वारा श्राप देना)


༺═──────────────═༻
• ą¤¹िरण्यकशिपु हिरनक्ष्य की जनम कऄा [भाग ą„Ø]
श्रीमद भागवद पुराण सोलहवां अध्याय [स्कंध ą„©]
(जय विजय का वेकुँठ से अधः पतन) 
༺═──────────────═༻

• ą¤¹िरण्याक्ष को युध्द दान देना।
श्रीमद भागवद पुराण * सत्रहवाँ अध्याय * [स्कंą¤§ą„©]
हिरण्यकश्यप असुर द्वारा दिग्विजय करना।


༺═──────────────═༻
• ą¤­ą¤—वान विष्णु का हिरण्यक्ष को युध्ददान।
श्रीमद भागवद पुराण *अठारहवाँ अध्याय* [स्कंą¤§ą„©]


༺═──────────────═༻
• ą¤øृष्टि विस्तर अर्ऄ ब्रह्मा जी द्वारा किये गये कर्म ą¤ą¤µं देह त्याग।
श्रीमद भागवद पुराण बीसवां अध्याय[स्कंध ą„©]

༺═──────────────═༻

• ą¤¶्रीमद भगवद पुराण ą¤ˆą¤•्कीसवाँ अध्याय [स्कंध ą„©]। विष्णुसार तीर्ऄ।
शतरुपा और स्वयंभुव मनु द्वारा सृष्टि उत्पत्ति
 ą¤•र्दम ą¤‹ą¤·ि का देवहूति के साऄ विवाह

༺═──────────────═༻

• ą¤°ाजा मनु का पुर्ण चरित्र व वंश वर्णन। मनु पुत्री का कदर्म ऋषि संग विवाह।।
श्रीमद भागवद पुराण बाईसवां अध्याय [स्कंą¤§ą„©]
देवहूति का ą¤•ą¤¦ą¤®ą¤œी के साऄ विवाह होना

༺═──────────────═༻
• ą¤¶्रीमद भागवद पुराण तेईसवाँ अध्याय [सकंध ą„©]
• कर्दम की देवहूति के साऄ विमान में रति लीला


༺═──────────────═༻

• ą¤¶्रीमद भागवद पुराण चौबीसवाँ अध्याय[स्कंध ą„©]
कपिल देव जी का देवहूति के गर्भ से जन्म लेना


༺═──────────────═༻


༺═──────────────═༻
༺═──────────────═༻


श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ą„Ŗ]

श्रीमद भागवद पुराण अध्याय ą„§[स्कंध ą„Ŗ] प्रजा की उत्त्पत्ति।।
दो-मनु कन्याओं से हुआ, जैसे ą¤œą¤— विस्तार।
सो पहले अध्याय में वरणों चरित अपार ॥
प्रियव्रत की जनम कऄा।।
यज्ą¤ž भगवान और माता लक्ष्मी का वंश वर्णन।।
सप्त ऋषि के नाम।।
कौन है सूत जी? सूत जी का जन्म। 

श्रीमद भागवद पुराण दूसरा अध्याय[स्कंą¤§ą„Ŗ]
दोहा-जैसे शिव से दक्ष की, भयो भयानक द्वेष।
सो द्वितीय अध्याय में वर्णन करें विशेष ।। 
क्यू लगते है शिव के भक्त भस्म।। शिवभक्तो को श्राप।।
क्यूँ दक्ष प्रजापति ने देवों के देव महादेव को यज्ą¤ž में नही बुलाया।।


श्रीमद भागवद पुराण तीसरा अध्याय [स्कंध ą„Ŗ]
(सती का प्रजापति दक्ष के घर जाने को कहना )
दोहा-जिस प्रकार शिव से सती, वरजी बारम्बार ।
सौ तृतीय अध्याय में, वरणी कऄा ą¤‰ą¤šार ॥ 

श्रीमद भागवद पुराण चौऄा अध्याय [चतुर्ऄ स्कंध]
(सती जी का दक्ष के यज्ą¤ž में देह त्याग करना)
दो-निज पति का अपमान जब, देखा पितु के गेह।
ता कारण से शिव प्रिया, त्याग दइ निज देह।।
सती द्वारा, देह त्याग के समय दक्ष को कहे गये वचन





श्रीमद भागवद पुराण* ą¤›ą¤Ÿą¤µां अध्याय [स्कंą¤§ą„Ŗ]
ब्रह्मा सहित सब देवताओं को शंकर जी से प्रजापति दक्ष को पुनः जीवित करने की प्रार्ऄना करना
दोहा-देवन किन्ही प्रार्ऄना, ज्यों शिव जी सों आय।
सों ą¤›ą¤Ÿ्वे अध्याय में, कही कऄा दर्शाया॥ 
प्रजापति दक्ष की कऄा।।



श्रीमद भागवद पुराण सातवां अध्याय[स्कंध ą„Ŗ]
(दक्ष का यज्ą¤ž विष्णु द्वारा सम्पादन)
दोा-जैसे दिया विष्णु ने दक्ष यज्ą¤ž करवाई।
सो सप्तम अध्याय में वर्णी कऄा बनाय।।

श्रीमद भागवद पुराण*आठवां अध्याय* [स्कंą¤§ą„Ŗ (पार्वती जी के रूप में सती का जन्म लेना तऄा शिव से विवाह होना) दो.-पार्वती कहै सती ने ली जिमि अवतार।
सो अष्टम अध्याय में वर्णित कऄा ą¤‰ą¤šार ।।
श्रीमद भगवद पुराण नवां अध्याय [स्कंą¤§ą„Ŗ]
(ध्रुव चित्र)
दोहा-हरि भक्त ध्रुव ने करी जिस विधि हृदय लगाय।
सो नोवें अध्याय में दीनी कऄा सुनाय ॥

श्रीमद भागवद पुराण दसवां अध्याय [स्कंध ą„Ŗ](ध्रुव को हरि दर्शन होना तऄा अपने राज्य को प्राप्त होनादो -हरि दर्शन से ध्रुव लियो, जैसे शुभ वरदानसौ दसवें अध्याय में, कीनी कऄा व्खान।।

श्रीमद भागवद पुराण ग्यारहवाँ अध्याय [स्कंध ą„Ŗ]
(ध्रुव का राज्य त्याग और तप को जाना)
दोहा-ग्यारहवें अध्याय में ध्रुव ने जतन बनाय।
राज्य दिया निज पुत्र को, वन में पहुँचे जाय ।।
श्रीमद भागवद पुराण बारहवां अध्याय[स्कंध ą„Ŗ]
(ध्रुव जी का विष्णु धाम जाना)
दोą„¦-जिमि तप बल ध्रुव ने कियो विष्णु धाम को जाय।
बारहवें अध्याय में कऄा कही मन लाय ।।
श्रीमद भागवद पुराण * तेरहवां अध्याय * स्कंध[ą„Ŗ]
श्रीमद भागवद पुराण  अध्याय ą„§ą„© स्कंध[ą„Ŗ]। राजा पृऄू का जनम।।
दो: ध्रुव नृप के वंशज भये,अंग नाम भूपाल।
तेरहवें अध्याय में,कहें उन्ही का हाल।
श्रीमद भगवद पुराण चौदहवाँ अध्याय[स्कंą¤§ą„Ŗ]
(वेणु का राज्याभिषेक )
दोहा- अंग सुमन जिमि वेनु को, राज्य मिला ज्यों आय।
चौदहवें अध्याय में, दिया वृतांत वताय ।
श्रीमद भागवद पुराण पन्द्रहवां अध्याय [स्कंध ą„Ŗ]
(पृऄु का जन्म ą¤ą¤µं राज्याभिषेक )
दोą„¦-वेणु वन्श हित भुज मऄी, मिलि जुलि सब मुनिराज।
पृऄु प्ą¤°ą¤—ą¤Ÿित तासों भये, हर्षित भयो समाज।।
श्रीमद भागवद पुराण * सोलहवां अध्याय *[स्कंą¤§ą„Ŗ]
(पृऄु का सूत गण द्वारा सतवन)
दोहा- कीयौ सूत गण ने सभी, पृऄु की सुयश बखान। 
सोलहवें अध्याय में, सो सब कियो निदान।। 
श्रीमद भागवद पुराण सत्रहवां अध्याय [स्कंą¤§ą„Ŗ]
(पृऄु का पृऄ्वी दोहने का उद्योग)
दोहा-जिमि पृऄ्वी दोहन कियो, नृप पृऄु ने उद्योग।
सत्रहवें अध्याय में वर्णन किया योग।
श्रीमद भगवद पुराण * अठारहवाँ अध्याय * [स्कंध ą„Ŗ]
( कामधेनु रूपी पृऄ्वी का दोहना)
दोहा-जिस प्रकार पृऄु ने दुही, पृऄ्वी रूपी गाय। 
अष्टम दस अध्याय में, कही कऄा ą¤øą¤®ą¤ाय॥
श्रीमद भागवद पुराण *उन्नीसवां अध्याय* [स्कंध ą„Ŗ]
क्यू राजा पृऄू ने सौवाँ यज्ą¤ž संपन्न नही किया
( पृऄु का इन्द्र को मारने को उद्यत होना तब बृह्माजी द्वारा निवाग्ण करना )
दोą„¦-अश्व हरण कियो इन्द्र ने, पृऄु की यज्ą¤ž सों आय।
सो वर्णन कीयो सकल, उन्नीसवें अध्याय ।।
श्रीमद भागवद पुराण बीसवां अध्याय [स्कंą¤§ą„Ŗ]
(विष्णु द्वारा पृऄु को उपदेश मिलना)
दोहा-पृऄु को ज्यों श्री विष्णु ने, किया सुलभ उपदेश।
सो बीसवें अध्याय में, वर्णन कियो विशेष ।।
श्रीमद भागवद पुराण अध्याय ą„Øą„§ [स्कंą¤§ą„Ŗ]
(पृऄु का अनुशासन वर्णन) 
दोहा-जिमि पृऄु हित प्रजा जन, कियी उपदेश महान।
इक्कीसवें अध्याय में, दियौ संपूर्ण बखान।। 
श्रीमद भगवद पुराण * बाईसवाँ अध्याय *[स्कंą¤§ą„Ŗ]
( सनकादिक का पृऄु को उपदेश )
दोहा-सनकादिक उपदेश ज्यों, दौयों पपु को आय।
सो सब वर्णन है कियो, बाईसवें अध्याय ।
श्रीमद भागवद पुराण तेईसवां अध्याय [स्कंą¤§ą„Ŗ]
(पृऄु का विष्णु लोक गमन)
दो-ज्यों पतिनी युत नृप पृऄु, लो समाधि बन जाय।
सो सब ये वर्णन कियो, तेईसवें अध्याय ।।

श्रीमद भागवद पुराण चौबीसवां अध्याय [स्कंध ą„Ŗ]
। रुद्र गत कऄा ।
दोहा-गये प्रचेता तप करन, पितु ą¤†ą¤œ्ą¤žा शिरधार। 
चौबीसवें अध्याय में, कऄा कही युत सार।
श्रीमद भागवद पुराण * पच्चीसवां अध्याय *[स्कंą¤§ą„Ŗ]
(जीव का विविधि संसार वृतांत)
जिमि विधि होवे संसार यह वृतांत। 
पच्चीसवें अध्याय में वर्णी कऄा सुखांत।।
श्रीमद भगवद पुराण छब्बीसवाँ अध्याय [स्कंą¤§ą„Ŗ]
(पुर बन के मृगयाą¤ž्चल के स्वरूप और जागरणा वस्ऄा कऄन द्वारा संसार वर्णन )
दोहा- स्वप्न अौर जागृत समय सन्मति पावहि त्याग। 
विविधियोनि वर्णन कियो, कऄा पूर्ण अनुराग ।।
श्रीमद भागवद पुराण* सत्ताईसवां अध्याय *[स्कंą¤§ą„Ŗ]
(पुरंजन का आत्म विस्मरण)
दोą„¦-स्त्री के वश फंस विपत्ति, पाई ज्यों अधिकाय।
सो सब यहि वर्णन कियौ, सत्ताईस अध्याय।।
श्रीमद भागवद पुराण अध्याय ą„Øą„® [स्कंध ą„Ŗ]
( पुरंजन का स्त्रीत्व को प्राप्त होना तऄा ज्ą¤žानोदय में सुक्ति लाभ)
दोहा-भये पुरंजन नारि तब, नारि मोह वश आय ।
सो वर्णित कीनी कऄा, ą¤…ą¤Ÿ्ठाईस अध्याय ।।
ą¤ą¤•े साधे सब सधे।
सब साधे, सब जाये।।
बुद्धि।।
श्रीमद भागवद पुराण उन्तीसवां अध्याय [स्कंą¤§ą„Ŗ]
(उपरोक्त कऄन की व्याख्या )
नारद जी द्वारा जनम से मृत्यु के उपरांत का पूर्ण ज्ą¤žान।।
उन्तीसवें अध्याय में, समुचित किया निदान ।।
श्रीमद भागवद पुराण तीसवाँ अध्याय [चतुर्ऄ स्कंध]
(राजा प्राचीन वहिक पुत्रों को विष्णु भगवान का वर प्राप्त होना)
दोहा-कियो प्रचेतन तप अमित, विष्णु दियो वरदान । 
सो तीसवें अध्याय में, समुचित कियो बखान ।।
श्रीमद भागवद पुराण इकत्तीसवां अध्याय[स्कंध ą„Ŗ] (प्रचेताओं का चरित्र दर्शन )
दोहा- राज्य प्रचेता गण कियौ, प्ą¤°ą¤•ą¤Ÿे दक्ष कुमार।
इकत्तिसवें अध्याय में, कही कऄा सुख

༺═──────────────═༻
༺═──────────────═༻
_人人人人人人स्कंध समाप्त_äŗŗäŗŗäŗŗäŗŗäŗŗäŗŗ_

श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ą„«]

श्रीमद भागवद पुराण * प्रऄम अध्याय* [स्कंą¤§ą„«]
(प्रियव्रत चरित्र वर्णन)

दो ą„¦- नूपति भये प्रियवृत जिमि, ज्ą¤žान लियी जिमि पाय। 

सो वृतांत वर्णन कियौ, या पहिले अध्याय ।श्रीमद भागवद पुराण दूसरा अध्याय [स्कंध ą„«]
( अग्नीध्र चरित्र)
दोहा-सव अग्नीध का, भाषा करदू गाय।
या द्वितीय अध्याय में, श्रवण करी मन लाय।। 


श्रीमद भागवद पुराण * तीसरा अध्याय *[स्कंध ą„«] ऋषभ देव अवतार
( नाभि का चरित्र वर्णन )
दोहा-ऋषभ यज्ą¤ž प्ą¤°ą¤•ą¤Ÿित भये, यज्ą¤žą¤°ूप अवार।
सो तीसरे अध्याय में, कही कऄा सुख सार ।।





श्रीमद भागवद पुराण * चौऄा अध्याय *[स्कंध ą„«] ( ऋषभ देव का चरित्र वर्णन ) 
दोहा-ऋषभ देव अवतार भये, कहूँ कऄा ą¤øą¤®ą¤ाय।
या चौऄे अध्याय में, कहें शुकदेव सुनाय ।।



श्रीमद भागवद पुराण * पाँचवाँ अध्याय * [स्कंą¤§ą„«]
( ऋषभ देवजी का उपदेश करना )
दोहा-ऋषभ देव निज जात जिमि, दई सीख सुख दाय।
मोक्ष मार्ग वर्णन कियो, या पंचम अध्याय ।।

श्रीमद भागवद पुराण * ą¤›ą¤Ÿą¤µां अध्याय * [स्कंध ą„«]
श्री ऋपमदेव जी का देह त्याग करना)
दोą„¦-देह त्याग कियो ऋषभ, जिमि अंतिम भये छार।
सो ą¤›ą¤Ÿą¤µें अध्याय में, बरनी कऄा ą¤‰ą¤šार ।। 


श्रीमद भागवद पुराण* सातवां अध्याय *[स्कंध ą„«]
(भरत जी का चरित्र वर्णन )
दोą„¦ भरत राज्य जा विधि कियो। हरि सौं प्रेम बऔ़ाय। 
सो सप्तम अध्याय में, कही कऄा दर्शाय ।।


श्रीमद भागवद पुराण *आठवां अध्याय *[स्कंą¤§ą„«]
(भरत को मृगत्व) 
दोहा-मृग शिशु पाल प्रेम मय प्रभुहि भक्ति विसराय॥ 
सो आठवें अध्याय में भरत मये मृग आय।।



श्रीमद भागवद पुराण * नौवां अध्याय *[स्कंध ą„«]
(भरत का विप्र जन्म लेना)
दोहा-या नवमे अध्याय में, भये भरत जऔ़ रूप।
सो उनकी सारी कऄा, वर्णन करी अनूप ॥


श्रीमद भागवद पुराण * दसवां अध्याय *[स्कंध ą„«]
(जऔ़ भरत और रहूगण का संवाद)
दोहा-सेवक पकऔ़े जऔ़ भरत, दिये सुख पाल लगाय ।
सो दसवें अध्याय में, कहयौ संवाद सुनाय ।।

श्रीमद भागवद पुराण ग्यारहवां अध्याय [स्कंध ą„«]
(जऔ़ भरत का निर्मल उपदेश)
दोहा-दियो रहूगण को भरत, जिस प्रकार उपदेस।
सो ग्यारह अध्याय में, वर्णन कियौ विशेष ॥

श्रीमद भागवद पुराण बारहवां अध्याय [स्कंध ą„«]
(राजा रहूगण का संदेह भंजन )
दोहा - शंसय कियो अनेक विधि, रहुगण भूप अनेक।
बारहवें अध्याय में, मैंटे सहित विवेक ।।

श्रीमद भागवद पुराण ॥तेरहवां अध्याय॥ स्कंą¤§ą„«
(भयावटो वर्णन)
होą„¦-आत्म ज्ą¤žान उपदेश जिमि' कहयो भरत ą¤øą¤®ą¤ाय।
तेरहवें अध्याय में, कऄा कही दर्शाय ।।

श्रीमद भागवद पुराण चौदहवां अध्याय [स्कंध ą„«]
(भवावटी की प्रकृति अर्ऄ वर्णन)
दोą„¦-रूपक धरि कहि जऔ़ भरत, राजा दियौ ą¤øą¤®ą¤ाय।
भिन्न भिन्न कर सब कहयौ, चौदहवें अध्याय ।।


श्रीमद भागवद पूराण सोलहवां अध्याय [स्कंą¤§ą„«]
(भुवन कोष वर्णन) इलावृत खंऔ
दोहाą„¦-भुवन कोस वर्णन कियो, श्री शुकदेव सुनाय।
सुनत परीक्षित भूप जिम सोलहवें अध्याय॥


गंगा जी का विस्तार वर्णन।। भगवाद्पदी- श्री गंगा जी।
श्रीमद भगवद पुराण *सत्रहवां अध्याय*[स्कंध ą„«]
दोहा: कहयो गंग विस्तार सब, विधि पूर्वक दर्शाय।
संकर्षण का स्तबन कियो रुद्र हर्षाय।।


अष्टम दस अध्याय में, कीरति कही बनाय।।

श्रीमद भागवद पुराण उन्नीसवाँ अध्याय * स्कंą¤§ą„«
भारत वर्ष का श्रेष्टत्व वर्णन
दो: हो भारत देश महान है, कहुँ सकल प्रस्तार।
या उन्नाव अध्याय में, वर्णित कियौ विचार।।

श्रीमद भागवद पुराण इक्कीसवां अध्याय [स्कंध ą„«]
राशि संचार द्वारा लोक यात्रा निरूपण
दोहा-सूर्य चन्द्र की चाल से, होवे दिन और रात।
सो इक्कीस अध्याय विच, लिखी लोक की बात ।।

श्रीमद भागवद पुराण बाईसवां अध्याय [स्कंध ą„«](चंद्र तऄा शुक्र आदि नक्षत्रों ą¤ą¤µं ग्रहों का वर्णन)



स्कन्ध ą„¬

प्रऄम अध्याय
(ą¤…ą¤œामिल की मोक्ष वर्णन विषय)
दोą„¦- विष्णु पार्षद ą¤†ą¤Æą¤Ÿ, लिये यम दूत दबाय | 
दुष्ट ą¤…ą¤œामिल को लियौ, प्रऄम अध्याय छुą„œाय || 


श्रीमद भागवद पुराण दूसरा अध्याय [स्कंą¤§ą„¬]
(विष्णु पार्षद कऄन)
दोहाą„¦ या दूजे अध्याय में, कहीं कऄा सुख सार।
नारायण को नाम ले, भयौ अनामिल पार॥



श्रीमद भागवद पुराण तीसरा अध्याय [स्कंध ą„¬]
(वैष्णव धर्म का वर्णन)
दो. विष्णु महातम सारयम, निज दूतों को ą¤øą¤®ą¤ाय।
सो वर्णन कीनी सकल, या तृतीय अध्याय ॥

नवीन सुख सागर 
श्रीमद भागवद पुराण चौऄा अध्याय [स्कंध ą„¬]
( दक्ष द्वारा हंस गुहा के स्तवन द्वारा हरि की आराधना )
दोą„¦-दक्ष तपस्या अति करी, करन प्रजा उत्पन्न।
सो चौऄे अध्याय में कही कऄा सम्पन्न॥













नवीन सुख सागर 
श्रीमद भागवद पुराण ग्यारहवाँ अध्याय [स्कंध ą„¬]
(वृतासुर का चरित्र वर्णन)
दोą„¦ą„¦ą¤µृतासुर ने भक्तिमय, सुन्दर वरणों ज्ą¤žान।
ग्यारहवें अध्याय में, ताकौ कियो बखान।।




नवीन सुख सागर 
श्रीमद भागवद पुराण तेरहवां अध्याय [स्कंध ą„¬]
इन्द्र को ब्रम्ह हत्या लगना।। बृह्मा हत्या का स्वरूप।।
दोą„¦- बृम्ह हत्या भई इन्द्र को, छुपौ कही भय खाय।
सो सिंगरौ वर्णन कियो, तेरहवें अध्याय ।। 


असुर वृत्तासुर का देव भाव को प्राप्त होना।।
नवीन सुख सागर 
श्रीमद भागवद पुराण चौदहवाँ अध्याय [स्कंध ą„¬]
(चित्रकेतु चरित्र वर्णन)
दोą„¦- चिरकेतु के चरित्र को वर्णन कियौ सुनाये।
भाख्यो शुक संपूर्ण यश चौदहवे अध्यायः॥



नवीन सुख सागर
श्रीमद भागवद पुराण पन्द्रहवाँ अध्याय [स्कंध ą„¬]
(चित्रकेतु को नारद तऄा अंगिरा ऋषि द्वारा शोक मुक्त करना)
दोą„¦ नारद और ऋषि अंगिरा, चित्रकेतु ढ़िग आय।
शौक दूर कीयो सकल कहयौ ज्ą¤žान दरसाय॥





ą„Ŗą„Æ मारूत की उत्पत्ति कैसे हुई तऄा देवगण वंश वर्णन॥ श्रीमद भागवद पुराण ą„§ą„® सकंध ą„¬
नवीन सुख सागर 
श्रीमद भागवद पुराण अठारहवाँ अध्याय [स्कंध ą„¬]
(देवगण वंश वर्णन)
दोą„¦-देवगण के वंश कौ, हाल कहयौ विस्तार। 
अष्टम दस अध्य में दिती गर्भ सौ सर॥॥ 




स्कंध समाप्त šŸ™šŸ™šŸ™

Shrimad Bhagwad Mahapuran [Skandh 7]



जय विजय के तीन जनम ą¤ą¤µं मोक्ष प्राप्ति। श्रीमद भगवद पुराण प्रऄम अध्याय-सातवां स्कन्ध प्रारम्भ
दोą„¦-कुल पन्द्रह अध्याय हैं, या सप्तम स्कंध ।
वर्णन श्री शुकदेवजी उत्तम सकल निबन्ध ।।
हिरण्यकश्यप के वंश की, हाल कहूँ समय ।

▲───────◇◆◇───────▲
▲───────◇◆◇───────▲


▲───────◇◆◇───────▲


▲───────◇◆◇───────▲

▲───────◇◆◇───────▲



▲───────◇◆◇───────▲


▲───────◇◆◇───────▲


▲───────◇◆◇───────▲


▲───────◇◆◇───────▲




▲───────◇◆◇───────▲




▲───────◇◆◇───────▲


▲───────◇◆◇───────▲



▲───────◇◆◇───────▲



▲───────◇◆◇───────▲





▲───────◇◆◇───────▲


स्कंध समाप्त šŸ™šŸ™šŸ™






▲───────◇◆◇───────▲






नवीन सुख सागर

श्रीमद भागवद पुराण दूसरा अध्याय [स्कंą¤§ą„®]

ą¤—ą¤œेन्द्र का उपाख्यान

दोहा- अध्याय में कही कऄा ą¤—ą¤œेन्द्र ą¤‰ą¤šार।

तामें प्रऄम द्वितीय में जल क्रीą„œा को सार ।

ą¤—ą¤œ और ग्राह की कऄा।। भाग ą„§ (सुख सागर कऄा)


▲───────◇◆◇───────▲


नवीन सुख सागर कऄा

श्रीमद भागवद पुराण  तीसरा अध्याय [स्कंą¤§ą„®]

(ą¤—ą¤œेन्द्र मोक्ष) 

ą¤—ą¤œ और ग्राह की कऄा - भाग ą„Ø (सुख सागर कऄा)ą¤—ą¤œेन्द्र मोक्ष।। 


▲───────◇◆◇───────▲

नवीन सुख सागर कऄा

श्रीमद्भागवद पुराण चौऄा अध्याय स्कंध ą„®

(ą¤—ą¤œेन्द्र का स्वर्ग जाना) 

दोą„¦ अब चतुर्ऄ में कहयौ ग्राह भयो गंधर्व।

ą¤—ą¤œ हर पार्षद जस भयो सो भाष्यों है सब || 

▲───────◇◆◇───────▲

श्रीमद भागवद पुराण पाँचवाँ अध्याय [स्कंध ą„® ] (ब्रम्हाजी द्वारा स्तवन)


▲───────◇◆◇───────▲



नवीन सुख सागर कऄा।।

श्रीमद भागवद पुराण छठवाँ अध्याय [ स्कंध ą„®]

(अमृतोत्पादन के लिये देवासुर का उद्योग) समुद्र मंऄन भाग ą„§।।


▲───────◇◆◇───────▲



श्रीमद भागवद पुराण सातवाँ अध्याय स्कंध ą„®

समुद्र मंऄन से कालकूट की उत्पत्ति 


▲───────◇◆◇───────▲



▲───────◇◆◇───────▲



सुख सागर कऄा।। समुद्र मंऄन भाग ą„Ŗ।।मोहिनी अवतार।।

श्रीमद भागवद पुराण नवां अध्याय स्कंध ą„®

भवगान का मोहिनी रूप धारण कर दैत्यों से अमृत कलश लेना।।

▲───────◇◆◇───────▲



सुख सागर कऄा।। समुद्र मंऄन भाग ą„« (देवासुर संग्राम)

श्रीमद् भागवद पुराण * दसवां अध्याय * स्कंध ą„®( देवासुर संग्राम)

दोहा ॰ दैत्य सुरन सौ जब भयो भीषण युद्ध अपार।

सो दसवें में है कऄा जस प्ą¤°ą¤•ą¤Ÿे करतार || 


▲───────◇◆◇───────▲

श्रीमद भागवद पुराण अध्याय ग्यारहवाँ स्कंध ą„® ( देवासुर की समर-समप्ति) देवासुर संग्राम 

दोहा- अब ग्यारह में कही, दैत्यों का संहार। 

भृगु नारद मेक्यो तभी कीन जीब संचार।।

▲───────◇◆◇───────▲

श्रीमद्भागवद पुराण  बारहवाँ अध्याय स्कंध 8

(मोहनी रूप देख महादेव की मोह प्राप्ति)

दोहा-रूप मोहनी दर्शहि ą¤‡ą¤š्छा धारि महेश।

बारह में वर्णन कियो विष्णु दीन्ह उपदेश।।


▲───────◇◆◇───────▲


नवीन सुख सागर

श्रीमद्भागवद पुराण  तेरहवाँ अध्याय स्कंध ą„®।।वैबस्वतादि मन्वन्तर वर्णन।।

दोहा-तेरहवें में वैवस्वत मनु सप्तम राजत जोय।

भाषे जौन भविष्य जो कऄा कही सब सोय।।


▲───────◇◆◇───────▲

श्रीमद्भागवद पुराण चौदहवां अध्याय स्कंध ą„®

(मन्वादि का पृऄक पृऄक कर्मादि वर्णन)

दोą„¦ चौदह में प्रभु ą¤†ą¤œ्ą¤žा लहि मनु कीन्हे कर्म।

सो अब वर्णन उपदेशमय भांति-भांति  के मर्म || 


▲───────◇◆◇───────▲


नवीन सुख सागर

श्रीमद भागवद पुराण  पन्द्रहवां अध्याय स्कंध ą„® 

( बलि द्वारा स्वर्ग विजय )

दोą„¦-अब बलि को वर्णन कऄा भाखी नो अध्याय |

यज्ą¤ž विश्वजित ą¤ą¤• में बलि को बैभव लाय ||ą„§ą„«| 


▲───────◇◆◇───────▲

श्रीमद भगवद पुराण सोलहवाँ अध्याय  [स्कंध ą„®]

 ą¤•श्यप द्वारा पयोव्रत कऄन )पयोव्रत कऄन :  सब यज्ą¤ž, सब ब्रतों और सब तपों का सार। 

दोą„¦-सोलह में निज सुतन लखि अदिति महा दुख पाय। 

जैसे कश्यप कह गये निज समाधि विसराय।। 

▲───────◇◆◇───────▲


श्रीमद भागवद पुराण सत्रहवां अध्याय [स्कंध ą„®]
(अदिति के गर्भ से भगवान का जन्म )सुख सागर  अध्याय 17 स्कंध 8 अदिति के गर्भ से भगवान का जन्म वामन अवतार  भाग 1
दोहा-पयोव्रत अदिति कीन्ह जब भये कार्य सब पूर्ण।
सत्रहवें में कऄा कही विमल सम्पूर्ण |। ą„§ą„­। | 


▲───────◇◆◇───────▲


श्रीमद भागवद पुराण* अठारहवाँ अध्याय *[स्कंध ą„®] 

सुख सागर  अध्याय 18 स्कंध 8 अदिति के गर्भ से भगवान का जन्म वामन अवतार  भाग 2(बलि के यज्ą¤ž में भगवान का आगमन)विजया द्वादशी।।

दोहा-अठारहवें अध्याय में प्ą¤°ą¤•ą¤Ÿे वामन आय।

दैत्य भूप बयि के यहां यांच्यो वर हर्षाये || 

▲───────◇◆◇───────▲


श्रीमद भागवद पुराण अध्याय ą„§ą„Æ [स्कंध ą„®]

( वामन द्वारा बलि से तीन पैर भूमि की प्रार्ऄना ) 

दोą„¦ तीन पैर की याचना वामन बलि से कीन।

सो उन्नीसव है कही धलि की कऄा नवीन ॥

▲───────◇◆◇───────▲

श्रीमद भागवद पुराण बीसवां अध्याय स्कंध [ą„®]( विश्व-रूप दर्शन )सुख सागर अध्याय 20 [स्कंध ą„®]  ( वामन द्वारा बलि से तीन पैर भूमि की प्रार्ऄना) विश्व-रूप दर्शन।। वामन अवतार  भाग 4

दोहा-वामन छलहू जानिकै दान हर्षि नृप दीन। 

सो बिसहें वर्णन कियो बाढ़े विष्णु प्रवीन।।

▲───────◇◆◇───────▲


श्रीमद  भागवद  पुराण इक्कीसवाँ अध्याय [स्कंą¤§ą„®]

( विष्णु द्वारा बलि का बन्धन )वामन अवतार  भाग 5

दोहा- इक इस में पग तृतीय हित हरि बांधे बलिराज।

बलि को महिमा देन हित वामन कोन्हें काज ।। 

▲───────◇◆◇───────▲


श्रीमद भागवद  पुराण अध्याय ą„Øą„Ø स्कंध ą„® [भगवान का द्वारपालना स्वीकार]

दोहा-बाईसवें अध्याय में बलि भेज्यो पाताल।

आप द्वार रक्षक भये दीनानाऄ दयाल | ।


▲───────◇◆◇───────▲

श्रीमद  भागवद  पुराण तेईसवां अध्याय [स्कंध ą„®]

( बलि का सुतल गमन )

दोą„¦- तेईस में प्रहलाद युतसुतल बसे बलि जाय। 

लहि आनन्द श्रीविष्णुयुत स्वर्ग गये सुरराय ।ą„Ø। 


▲───────◇◆◇───────▲

▲───────◇◆◇───────▲

We are working hard to complete Digitizing of Shrimad Bhagwad Mahapuran (sukh sagar). 


Still under process...........

  • Jai shree Krishna 


  • Jai shri Hari

  • Aumą„




Post a Comment

Previous Post Next Post